चंगेज खान के बारे में यह बहुत प्रसिद्द है कि उसकी सेना का उद्देश्य सिर्फ विश्व को जीतना था. यदि कोई राजा चंगेज खान को टैक्स देने पर राजी हो जाता था तो उसे कुछ नहीं किया जाता है.
न सत्ता परिवर्तन, न मार काट, न धर्म/संस्कृति परिवर्तन. उसने सत्ता को धर्म से अलग रखा. धार्मिक नेताओं को सत्ता में कोई भागीदारी नहीं थी. हालाँकि धार्मिक नेताओं से किसी तरह का टैक्स भी नहीं लिया जाता था.
उसने अपने जीते गए प्रान्तों को अलग अलग पर भरोसेमंद लोगों को बाँट दिया और इस बार का पूरा ख़याल रखा गया कि सत्ता योग्यता तथा हुनर के आधार पर मिले, न कि रिश्ते नाते के आधार पर.
अनुशासन तथा योग्यता पर आधारित व्यवस्था ने चंगेज खान के साम्राज्य को नयी ऊँचाइयों तक पहुचाया.
एक बार की बात है. ज़ुर्गादै नाम का एक तीरंदाज जो मंगोलों के खिलाफ लड़ाई में शामिल था. बैटल ऑफ़ थर्टीन साइड्स के दौरान ज़ुर्गादै ने एक तीर छोड़ा जो चंगेज खान की गर्दन पर लगा.
हालाँकि युद्ध को मंगोलों ने जीत लिया परन्तु चंगेज खान तीर के वार से घायल हो गया. युद्ध जीतने के बाद यह पुछा गया कि आखिर वो तीर किसने चलाया था, तब ज़ुर्गादै नाम का तीरंदाज खुद सामने आया और यह कबूल किया कि उसी के तीर से चंगेज खान घायल हुए.
आशा के अनुरूप ज़ुर्गादै को मौत की कठोर सजा सुनाई गयी. परन्तु चंगेज खान ज़ुर्गादै की इमानदारी से बड़े प्रभावित हुए. उन्होंने ज़ुर्गादै की मौत की सजा माफ़ कर दी और उसे अपनी फ़ौज में जेनरल का दर्जा दिया.
ज़ुर्गादै को उसने एक नया नाम दिया- जेबे जिसका अर्थ होता है तीर. बाद में ज़ुर्गादै मंगोल साम्राज्य के 4 प्रमुख जनरल में से एक हुए.
चंगेज खान के बारे में ऐसी कई कहानियां हैं जिससे यह साबित होता है कि चंगेज खान ने इमानदारी और निष्ठां को पुरस्कृत किया. भरोसेमंद लोगों की फ़ौज कड़ी कर के ही उसने विश्व के इतने बड़े हिस्से पर शासन किया.