भावार्थ : हे हाथी के जैसे विशालकाय जिसका तेज सूर्य की सहस्त्र किरणों के समान हैं । बिना विघ्न के मेरा कार्य पूर्ण हो और सदा ही मेरे लिए शुभ हो ऐसी कामना करते है ।
शुभं करोति कल्याणं आरोग्यं धनसंपद: ।
शत्रुबुध्दिविनाशाय दीपजोतिर्नामोस्तुते ॥
भावार्थ : ऐसे देवता को प्रणाम करता हूँ ,जो कल्याण करता है, रोग मुक्त रखता है, धन सम्पदा देता हैं, जो विपरीत बुध्दि का नाश करके मुझे सद मार्ग दिखाता हैं, ऐसी दिव्य ज्योति को मेरा परम नम: ।
आदित्यनमस्कारान् ये कुर्वन्ति दिने दिने दीर्घ आयुर्बलं वीर्य तेजस तेषां च जायत ।
अकालमृत्युहरणम सर्वव्याधिविनाशम सूर्यपादोदकं तीर्थं जठरे धरायाम्यहम ॥
भावार्थ : भगवान सूर्य को नमस्कार जिस तरह वह बढ़ रहे हैं, दिन का आरम्भ हो रहा है जिसका तेज, शक्ति को दीर्घ आयु प्राप्त है जिसे मृत्यु पर विजय प्राप्त है , जो सभी की रक्षा करते है ऐसे सूर्य देवता के चरणों में समस्त तीर्थ का सुख है ।
सूर्य संवेदना पुष्पे:, दीप्ति कारुण्यगंधने ।
लब्ध्वा शुभम् नववर्षेअस्मिन् कुर्यात्सर्वस्य मंगलम् ॥
भावार्थ : जिस तरह सूर्य प्रकाश देता है, पुष्प देता है, संवेदना देता है और हमें दया भाव सिखाता है उसी तरह यह नव वर्ष हमें हर पल ज्ञान दे और हमारा हर दिन, हर पल मंगलमय हो ।
नमस्तेस्तु महामायें श्रीपीठे सुरपूजिते ।
शंख्चक्ररादाह्स्ते महालक्ष्मी नमस्तु ते ॥
भावार्थ : माँ लक्ष्मी जो शक्ति की देवी है जो धन की देवी है जो समस्त देवताओ द्वारा पूजी जाती है जिनके हाथो में शंख और चक्र है ऐसी माँ लक्ष्मी को मेरा प्रणाम है ।
निराकारमोङ्करमूलं तुरीयं गिराज्ञानगोतीतमीशं गिरीशम् ।
करालं महाकालकालं कृपालं गुणागारसंसारपारं नतोऽहम् ॥
भावार्थ : जिनका कोई आकार नहीं, जो ॐ के मूल हैं, जिनका कोई राज्य नहीं, जो गिरी के वासी हैं, जो कि सभी ज्ञान, शब्द से परे हैं, जो कि कैलाश के स्वामी हैं, जिनका रूप भयावह हैं, जो कि काल के स्वामी हैं, जो उदार एवम् दयालु हैं, जो गुणों का खजाना हैं, जो पुरे संसार के परे हैं उनके सामने मैं नत मस्तक हूँ ।
Blocked because of Ad Blocker
It seems that you are using some ad blocking software which is preventing the page from fully loading. Please whitelist this website or disable ad blocking software.