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कौए और सीपी – शिक्षाप्रद कहानी

एक समय की बात है, किसी कौए को नदी किनारे एक सीपी पड़ी मिल गई। उसने सोचा, उसे खाकर वह अपना पेट भरेगा। कौआ सीपी पर चोंच मारने लगा। मगर भल सीपी टूटती कैसे। सीपी तो बहुत कठोर होती है।

कौए और सीपी - शिक्षाप्रद कहानी

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तभी एक दूसरा कौआ कहीं से आ गया और कहने लगा- ”क्या बात है दोस्त? किस काम में उलझे हुए हो?“

”भाई कुछ खास नहीं!“ पहला कौआ बोला- ”मैं यह सीपी तोड़कर भीतर का नरम माल खाना चाहता हूं, मगर यह कम्बखत सीपी है कि टूटती ही नहीं।“

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”ओह! मेरे प्यारे दोस्त!“ दूसरा कौआ बोला- ”भला इसमें इतना परेशान होने वाली क्या बात है। इसे तोड़ना तो बहुत आसान है। सीपी चोंच में दबाकर खूब ऊंचाई तक उड़ जाओ और फिर ऊपर से किसी चट्टान पर उसे गिरा दो। जब वह ऊपर से नीचे गिरेगी तो अपने आप ही टूट जाएगी।“

पहला कौआ खुश हो गया।

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उसने मुंह में सीपी दबाई और उड़ चला ऊपर आकाश की ओर।

दूसरा कौआ बड़ा ही धूर्त और चालबाज था। वह हमेशा अवसर की तलाश में रहता था और आमतौर पर अपने मिलने जुलने वालों का ही धोखा दिया करता था। फलस्वरूप वह भी उसके साथ ही उड़ रहा था, मगर उससे बहुत नीचे। जब पहला कौआ किसी चट्टान के ऊपर से गुजरने लगा तो उसने चोंच से सीपी नीचे गिरा दी।

सीपी नीचे चट्टान पर गिरते ही टुकड़े-टुकड़े हो गई और पहला कौआ सीपी को टूटता देखकर बहुत प्रसन्न हुआ और उसने नीचे चट्टान पर झपट्टा मारा।

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मगर इससे पहले कि वह टूटी हुई सीपी तक पहुंचता, दूसरे कौए ने बिजली की सी फुर्ती से सीपी पर धावा बोला और उसे लेकर उड़ गया। बेचारा पहला कौआ देखता रह गया। उसे आश्चर्य हो रहा था अपने मित्र की चालाकी देखकर।

शिक्षा –  अपने स्वार्थ के लिए दूसरों का गला न काटो।

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