लाख-लाख जुगन हिअ हिअ राखल तइयो हिअ जरनि न गेल। में कौन सा अलंकार है?
lakh lakh jugan hiy hiy rakhal taiyo hiy jarani n gel mein kaun sa alankar haiलाख-लाख जुगन हिअ हिअ राखल तइयो हिअ जरनि न गेल।
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जब किसी काव्य पंक्ति में किसी शब्द की आवृति होती है और आवृत शब्द के अलग अलग अर्थ निकलते हो तो वहाँ यमक अलंकार होता है। यहाँ हिय शब्द में यमक अलंकार है क्योंकि इसके दो अर्थ है और इसके दो अर्थ है।
प्रस्तुत पंक्ति में यमक अलंकार का भेद:
इस पंक्ति में अभंग पद यमक अलंकार है क्योंकि इसमें शब्दों को ज्यों का त्यों प्रयुक्त किया गया है।
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यमक अलंकार का अन्य उदाहरण:
आप यमक अलंकार को अच्छी तरह से समझ सकें इसलिए यमक अलंकार के कुछ अन्य उदाहरण निम्नलिखित हैं:
‘’काके गए वसन पलटी आए वसन
“ कनक कनक तें सो गुना मादकता अधिकाई “ इसमें कनक के दो अर्थ हैं – धतूरा और स्वर्ण। अतः; इसमें यमक अलंकार है।
काव्य पंक्ति में अन्य अलंकार –
लाख – लाख में पुनरुक्ति अलंकार है।
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अलंकार – परिभाषा, भेद एवं उदाहरण
- “या मुरली मुरलीधर की अधरान धरी अधरा न धरौंगी। ” में कौन सा अलंकार है?
- ” पास ही रे हीरे की खान ,खोजता कहां और नादान? में कौन सा अलंकार है?
- ऊंचे घोर मन्दर के अन्दर रहन वारी, ऊंचे घोर मन्दर ले अन्दर रहाती है। में कौन सा अलंकार है?
- ऊधौ जोग जोग हम नाही। अबला सारज्ञान कह जानै, कैसै ध्यान धराही। में कौन सा अलंकार है?
- ऐसे दुरादुरी ही सों सुरत जे करैं जीव, साँचो तिन जीवन को जीवन है जग में। में कौन सा अलंकार है?
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