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भारतीय परंपरा में क्यों छुए जाते हैं पैर?

Pair kyon chhute hain? Pair chhune se labh

पैर छूना या प्रणाम करना, केवल एक परंपरा या बंधन नहीं है। यह एक विज्ञान है जो हमारे शारीरिक, मानसिक और वैचारिक विकास से जुड़ा है।

Pair kyon chhute hain Pair chhune se labhपैर छूने से केवल बड़ों का आर्शीवाद ही नहीं मिलता। बल्कि अनजाने ही कई बातें हमारे अंदर उतर जाती हैं। पैर छूने का सबसे बड़ा फायदा शारीरिक कसरत होती है, तीन तरह से पैर छुए जाते हैं। पहले झुककर पैर छूना, दूसरा घुटने के बल बैठकर तथा तीसरा साष्टांग प्रणाम। झुककर पैर छूने से कमर और रीढ़ की हड्डी को आराम मिलता है।

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दूसरी विधि से हमारे सारे जोड़ों को मोड़ा जाता है, जिससे उनमें होने वाले स्ट्रेस से राहत मिलती हैं.

तीसरी विधि में सारे जोड़ थोड़ी देर के लिए तन जाते हैं, इससे भी स्ट्रेस दूर होता है। इसके अलावा झुकने से सिर में रक्त प्रवाह बढ़ता है, जो स्वास्थ्य और आंखों के लिए लाभप्रद होता है।

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प्रणाम करने का तीसरा सबसे बड़ा फायदा है कि इससे हमारा अहंकार कम होता है। किसी के पैर छूना यानी उसके प्रति समर्पण भाव जगाना, जब मन में समर्पण का भाव आता है तो अहंकार स्वतः ही खत्म होता है। इसीलिए बड़ों को प्रणाम करने की परंपरा (Charan sparsh) को नियम और संस्कार का रूप दे दिया गया।

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