” पास ही रे हीरे की खान ,खोजता कहां और नादान? में कौन सा अलंकार है?
pas hee re heere ki khan khojta kahan aur nadan mein kaun sa alankar hai” पास ही रे हीरे की खान ,खोजता कहां और नादान?
प्रस्तुत पंक्ति यमक अलंकार है। जब काव्य में एक ही शब्द दो बार आए और दोनों ही बार उसके अलग अलग अर्थ हों तो वहाँ यमक अलंकार होता है। इस काव्य पंक्ति में ही रे और हीरे का प्रयोग दो बार हुआ है जिसमें ही रे का अर्थ होने के अर्थ में आया है और हीरे का अर्थ एक कीमती धातु से है।
प्रस्तुत पंक्ति में यमक अलंकार का भेद:
चूंकि इस में शब्दों को ज्यों का त्यों प्रयोग करके नहीं बल्कि तोड़ मरोड़ कर प्रस्तुत किया गया है इसलिए इसमें सभंग यमक का प्रयोग किया गया है। ( ही रे – होने के अर्थ में। हीरे – एक कीमती धातु )
यमक अलंकार का अन्य उदाहरण:
आप यमक अलंकार को अच्छी तरह से समझ सकें इसलिए यमक अलंकार के कुछ अन्य उदाहरण निम्नलिखित हैं:
मालाफेरत जग मुआ मिटा न मन का फेर। कर का मनका छोड़ के मन का मनका फेर.। इस पंक्ति में मनका शब्द की आवृति हुई है और दोनों बार अलग अलग अर्थमें प्रयुक्त हुआ है। अतः; यह यमक अलंकार का उदाहरण है।
“ तीन बेर खातीहै अब तीन बेर खाती है। “ इस पद में बेर में यमक अलंकार है।
काव्य पंक्ति में अन्य अलंकार –
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अलंकार – परिभाषा, भेद एवं उदाहरण
- “या मुरली मुरलीधर की अधरान धरी अधरा न धरौंगी। ” में कौन सा अलंकार है?
- ” पास ही रे हीरे की खान ,खोजता कहां और नादान? में कौन सा अलंकार है?
- ऊंचे घोर मन्दर के अन्दर रहन वारी, ऊंचे घोर मन्दर ले अन्दर रहाती है। में कौन सा अलंकार है?
- ऊधौ जोग जोग हम नाही। अबला सारज्ञान कह जानै, कैसै ध्यान धराही। में कौन सा अलंकार है?
- ऐसे दुरादुरी ही सों सुरत जे करैं जीव, साँचो तिन जीवन को जीवन है जग में। में कौन सा अलंकार है?