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Rahim ke dohe in Hindi:
चाह गई चिंता मिटी, मनुआ बे परवाह।
जिनको कछू न चाहिए, वे साहन के साह।।
Chah gai chinta miti, manua be parwah
Jinko kachhu na chahiye, ve saahan ke sah
रहीम के दोहे का अर्थ:
चिंताओं का मूल है मन में नई-नई कामनाओं का पैदा होना। एक कामना पूरी होती है तो दूसरी कामना सिर उठाती है। कामनाओं को कैसे सिद्ध किया जाए, इसी चिंता में मनुष्य घुलता रहता है। वह जीवन को पूरी समग्रता से नहीं जी पाता। वह आजीवन कामनाओं का दास बना रहकर लोभ, मोह, माया, क्रोध व काम में फंसा रहता है। उसका एक पल भी शांतिपूर्वक व्यतीत नहीं होता।
इसके विपरित रहीम कहते हैं, यदि कामना न रहे, चाह का लोप हो जाए तो चिंता से मुक्ति मिल जाती है। सिर से सारा बोझ उतर जाता है और मन निश्चिंत और लापरवाह हो जाता है। सच तो यह है कि जिनको कुछ नहीं चाहिए होता, जो कामना रहित होते हैं, वे शाहों के भी शाह होते हैं।
25 Important परीक्षा में पूछे जाने वाले रहीम के दोहे :
अक्सर प्रतियोगी परीक्षाओं और विद्यालयी परीक्षाओं में रहीम के दोहे संबन्धित प्रश्न पूछे जाते हैं जिनमें मार्क्स लाना आसान होता है किन्तु सही जानकारी और अभ्यास के अभाव में अक्सर विद्यार्थी रहीम के दोहों के प्रश्न में अंक लाने में कठिनाई अनुभव करते हैं। हमने प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे जाने वाले रहीम के दोहों को अर्थ एवं व्याख्या सहित संग्रहीत किया है जिनका अभ्यास करके आप पूर्ण अंक प्राप्त कर सकते हैं।
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