समय लाभ सम लाभ नहिं, समय चूक नहिं चूक - Rahim Ke Dohe
Rahim ke dohe कदली, सीप, भुजंग-मुख, स्वाति एक गुन तीन।
Rahim ke dohe कुटिलन संग रहीम कहि, साधू बचते नाहिं।
Rahim ke dohe रहिमन एक दिन वे रहे, बीच न सोहत हार।
Rahim ke dohe रीति प्रीति सब सों भली, बैर न हित मित गोत।
Rahim ke dohe रहिमन नीर पखान, बूई पै सीझे नहीं।
Rahim ke dohe ओछो को सतसंग, रहिमन तजहु अंगार ज्यों।
Rahim ke dohe दोनों रहिमन एक से, जौ लौं बोलत नाहिं।