Sir par Choti (Shikha) kyon rakhte hain?
सिर पर शिखा ब्राहमणों की पहचान मानी जाती है। लेकिन यह केवल कोई पहचान मात्र नहीं है। जिस जगह शिखा रखी जाती है, यह शरीर के अंगों बुद्धि और मन को नियंत्रित करने का स्थान भी है। शिखा एक धार्मिक प्रतीक है तो है ही साथ ही मस्तिष्क के संतुलन का भी बहुत बड़ा कारक है। आधुनिक युवा इसे रूढ़ीवाद मानते हैं, लेकिन असल में यह पूर्णत वैज्ञानिक है। दरअसल, शिखा के कई रूप हैं।
सिर में सहस्रार के स्थान पर चोटी रखी जाती है अर्थात सिर के सभी बालों को काटकर बीचोबीच के स्थान के बाल को छोड़ दिया जाता है। इस स्थान के ठीक 2 से 3 इंच नीचे आत्मा का स्थान है। भौतिक विज्ञान के अनुसार यह मस्तिष्क का केंद्र है। विज्ञान के अनुसार यह शरीर के अंगों, बुद्धि और मन को नियंत्रित करने का स्थान भी है। हमारे ऋषियों ने सोच-समझकर चोटी रखने की प्रथा को शुरू किया था।
आधुनिक दौर में अब लोग सिर पर प्रतीकात्मक रूप से छोटी सी चोटी रख लेते हैं, लेकिन इसका वास्तविक रूप यह नहीं है। वास्तव में शिखा का आकार गाय के पैर के खुर की बराबर होना चाहिए। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि हमारे सिर में बीचों बीच सहस्त्रार चक्र होता है। शरीर में पांच चक्र होते हैं, मूलाधार चक्र, जो रीढ़ के निचले हिस्से में होता है और आखिरी है सहस्त्रार चक्र, जो सिर पर होता है। इसका आकार गाय के खुर के बराबर ही माना गया है।शिखा रखने से इस प्रकार सहस्त्रार चक्र को जागृत करने और शरीर, बुद्धि व मन वर नियंत्रण करने में सहायता मिलती है।
शिखा वाला भाग, जिसके नीचे सुषुम्ना नाड़ी होती है, कपाल तन्त्र के अन्य खुली जगहोँ की अपेक्षा अधिक संवेदनशील होता है। जिसके खुली होने के कारण वातावरण से उष्मा व अन्य ब्रह्माण्डिय विद्युत-चुम्बकीय तरंगोँ का मस्तिष्क से आदान प्रदान बड़ी ही सरलता से हो जाता है। शिखा न होने की स्थिति मेँ स्थानीय वातावरण के साथ साथ मस्तिष्क का ताप भी बदलता रहता है लेकिन मस्तिष्क के यथोचित उपयोग के लिए इसके ताप को नियंन्त्रित रहना होता है।
शिखा का हल्का दबाव होने से रक्त प्रवाह भी तेज रहता है और मस्तिष्क को इसका लाभ मिलता है।
शिखा रखने से मनुष्य प्राणायाम, अष्टांगयोग आदि यौगिक क्रियाओं को ठीक-ठीक कर सकता है। शिखा रखने से मनुष्य की नेत्रज्योति सुरक्षित रहती है। शिखा रखने से मनुष्य स्वस्थ, बलिष्ठ, तेजस्वी और दीर्घायु होता है।
जिस किसी की भी कुंडली में राहु नीच का हो या राहु खराब असर दे रहा है तो उसे माथे पर तिलक और सिर पर चोटी रखने की सलाह दी जाती है।