सोचति यों पुनि पात झर्यो, मुख ह्वै गयो प्यारी को पात झर्यो सो। में कौन सा अलंकार है?
sochti yon puni pat jhayo mukh hai gayo pyari ko pat jhayo so mein kaun sa alankar haiसोचति यों पुनि पात झर्यो, मुख ह्वै गयो प्यारी को पात झर्यो सो।
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जब किसी कविता में किसी शब्द की आवृति हो और दोनों ही बार वह अलग अलग अर्थ में प्रयुक्त हुआ हो तो वहाँ यमक अलंकार होता है.। इस पंक्ति में पात शब्द की आवृति हुई है और दोनों ही बार अलग अलग अर्थ में प्रयुक्त हुआ है।
प्रस्तुत पंक्ति में यमक अलंकार का भेद:
इस पद में अभंग पद यमक अलंकार है क्योंकि इसमें शब्दों को ज्यों का त्यों प्रयोग हुआ है।
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यमक अलंकार का अन्य उदाहरण:
आप यमक अलंकार को अच्छी तरह से समझ सकें इसलिए यमक अलंकार के कुछ अन्य उदाहरण निम्नलिखित हैं:
‘’लाली लाली डोलिया में लाली रे दुल्हनियाँ ‘’
“काली घटा का घमंड घटा “इसमें घटा शब्द का प्रयोग दो बार हुआ है जिसके दो अर्थ है बादल और घटना।
काव्य पंक्ति में अन्य अलंकार –
अलंकार के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त करने के लिए नीचे दिये गए लिंक पर जाएँ:
अलंकार – परिभाषा, भेद एवं उदाहरण
- “या मुरली मुरलीधर की अधरान धरी अधरा न धरौंगी। ” में कौन सा अलंकार है?
- ” पास ही रे हीरे की खान ,खोजता कहां और नादान? में कौन सा अलंकार है?
- ऊंचे घोर मन्दर के अन्दर रहन वारी, ऊंचे घोर मन्दर ले अन्दर रहाती है। में कौन सा अलंकार है?
- ऊधौ जोग जोग हम नाही। अबला सारज्ञान कह जानै, कैसै ध्यान धराही। में कौन सा अलंकार है?
- ऐसे दुरादुरी ही सों सुरत जे करैं जीव, साँचो तिन जीवन को जीवन है जग में। में कौन सा अलंकार है?
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