सूर सूर, तुलसी शशि, उडुगन केशवदास ! में कौन सा अलंकार है?
sur sur tulsi shasi udgan keshavdas mein kaun sa alankar haiसूर सूर, तुलसी शशि, उडुगन केशवदास ! अब के कवि खद्धोत सम, जहं तहं करत प्रकाश !!
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जैसा कि हम सभी जानते है कि जब किसी पंक्ति किसी शब्द का दोहराव हो और दोनों बार उसका अर्थ भी भिन्न भिन्न हो तो वहाँ यमक अलंकार होता है। इस पंक्ति में सुर शब्द में यमक अलंकार है क्योंकि एक सुर का अर्थ सूर दास कवि से है तो दूसरे अर्थ में यह दूरी के रूप में प्रयुक्त हुआ है।
प्रस्तुत पंक्ति में यमक अलंकार का भेद:
इस पंक्ति में अभंग पद यमक अलंकार है। क्योंकि इसमें शब्दों को जस के तस प्रयोग किया गया है।
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यमक अलंकार का अन्य उदाहरण:
आप यमक अलंकार को अच्छी तरह से समझ सकें इसलिए यमक अलंकार के कुछ अन्य उदाहरण निम्नलिखित हैं:
‘’नगन जड़ाती थई अब नगन जड़ाती है। ‘’
प्रस्तुत पंक्ति में अन्य अलंकार :
काव्य पंक्ति में अन्य अलंकार –
अलंकार के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त करने के लिए नीचे दिये गए लिंक पर जाएँ:
अलंकार – परिभाषा, भेद एवं उदाहरण
- “या मुरली मुरलीधर की अधरान धरी अधरा न धरौंगी। ” में कौन सा अलंकार है?
- ” पास ही रे हीरे की खान ,खोजता कहां और नादान? में कौन सा अलंकार है?
- ऊंचे घोर मन्दर के अन्दर रहन वारी, ऊंचे घोर मन्दर ले अन्दर रहाती है। में कौन सा अलंकार है?
- ऊधौ जोग जोग हम नाही। अबला सारज्ञान कह जानै, कैसै ध्यान धराही। में कौन सा अलंकार है?
- ऐसे दुरादुरी ही सों सुरत जे करैं जीव, साँचो तिन जीवन को जीवन है जग में। में कौन सा अलंकार है?
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