Advertisement
वे नफरत के व्यापारी हैं साज़िश के पापड़ बेलेंगे
वे जितनी गोली दागेंगे हम उतने नाटक खेलेंगे
हैं दिल में बेहद डरे हुए काले कानूनों के निर्माता
वे जितना हमको रोकेंगे हम उतने ज़्यादा फैलेंगे
उनके हाथों में बन्दूकें उनकी फितरत में हिंसा है
हम कब तक चुप रह पाएंगे हम कब तक उनको झेलेंगे
अब गोलबन्द होना होगा करना होगा प्रतिरोध हमें
जो ताकत हमने दी उनको वो ताकत वापस ले लेंगे
Advertisement
हम ऐसे ही चुपचाप रहे तो नंगे होकर नाचेंगे
”सुगम”सोच लो ज़ुल्मों के वे डंड यहीं पर पेलेंगे
Advertisement