योग दिवस पर भी केजरीवाल मोदी के साथ दिल्ली में योग करते नज़र आए!
भाजपा प्रशासित दिल्ली नगर निगम से अनेको मुद्दों पर अनबन के बावजूद जब बात दिल्ली की सफाई की आई तब केजरीवाल ने उनसे हाथ मिलाया और संयुक्त रूप से दिल्ली को स्वच्छ बनाने के लिए स्वच्छ दिल्ली अभियान शुरू किया! पढ़ें- अरविन्द केजरीवाल की आप सरकार ने शुरु किया स्वच्छ दिल्ली अभियान
जीवन के एशोआराम को छोड़ कर सरकार और व्यवस्था के खिलाफ आवाज़ उठाना बड़ी बात है!
केजरीवाल ने एक IRS की नौकरी छोड़ी और अपने NGO परिवर्तन के माध्यम से भ्रष्ट अफसरों के खिलाफ मुहीम छेड़ी ! 13 सालों तक दिल्ली और दिल्ली वासियों के हक के लिए लड़ाई लड़ी!
एक सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में अरविंद द्वारा उठाए गये मुद्दे यह साबित करते हैं की उन्होने आरोप लगाए और देर सवेर वो आरोप सही साबित भी हुए! साथ ही साथ यह बात नोट करने लायक है कि अरविंद देश की बड़ी से बड़ी ताकतों के सामने निडरता के साथ खड़े हुए! कुछ प्रमुख मुद्दे इस प्रकार हैं:-
और हाँ, अरविंद को अवसरवादी कहने से पहले ये सोचना ज़रूरी है कि क्या 1999 में जब अरविंद ने जब Indian Revenue Service की नौकरी छोडी और अगले 13 सालों तक समाजसेवा करने का रास्ता अपनाया तब क्या उन्हें ये पता था कि वो राजनीति में आने वाले हैं? और अगर आने भी वाले हैं तो मुख्यमंत्री बन कर आएँगे? अगर हाँ तो भगवान ऐसी दूरदर्शिता हम सभी को दे!
व्यवस्था से परेशान हो कर एक आम आदमी व्यवस्था ही बदल देगा यह शायद कॉंग्रेस के नेताओं ने भी नही सोचा था !
शुरुआत अरविंद नें दिल्ली के इनकम टॅक्स विभाग में लोगों की समस्याओं का समाधान ढूँढने से की थी! फिर समस्याएँ आती गयी और काफिला बढ़ता चला गया परंतु पीछे कभी नही हटे!
दिल्ली वासियों को मुफ़्त पानी और सस्ती बिजली देने का सपना केजरीवाल ने दिखाया और उसे पूरा भी किया!
दिल्ली वालों के लिए तीन स्तरीय आधुनिक स्वास्थ्य व्यवस्था (मोहल्ला क्लिनिक, पॉली क्लिनिक एवं बड़े अस्पताल) का सफल संचालन कर केजरीवाल अपनी छवि ऐसे नेता की बनाना चाहते हैं जो वास्तव में एक आम आदमी की समस्याओं को समझता है!
अरविंद आज भी यह बात साबित करने की पुरजोर कोशिश कर रहे हैं कि देश को बदलने के लिए पैसे की नही, नीयत की ज़रूरत है!
याद कीजिए दिल्ली चुनाव से ठीक पहले का वो दिन जब दिल्ली के शाही इमाम ने केजरीवाल को समर्थन की पेशकश की थी! तब केजरीवाल ने बड़ी विनम्रता से इस प्रस्ताव को यह कहते हुए अस्वीकार कर दिया था कि वो किसी खास समुदाय से नही वरन पूरी दिल्ली से सहयोग चाहते हैं!
बात जब पैसे जुटाने की आई तब भी केजरीवाल ने सिद्धांतो से समझौता ना करते हुए पुरी प्रक्रिया को पारदर्शी रखा और एक एक रुपए का हिसाब पार्टी की वेबसाइट पर दर्शाया! साथ ही साथ दूसरी पार्टियों को भी ऐसा करने के लिए ललकारा!
49 दिनों में दिल्ली की गद्दी छोड़ कर जनता को सीधा संदेश देने की कोशिश की कि यदि हम वादे पूरे करने में असमर्थ हैं तो फिर कुर्सी पर बैठने का कोई फ़ायदा नही! हालाँकि इस कदम का भारी विरोध हुआ!
सरकार बन जाने के बाद भी अपने मंत्रियों के ग़लत साबित होने पर उनका इस्तीफ़ा लिया! चाहे वो केजरीवाल के क़ानून मंत्री सोमनाथ भारती हों या फिर फर्जी डिग्री केस में फँसे तोमर या फिर भ्रष्टाचार के आरोपों पर घिरे मंत्री आसिम अहमद ख़ान.
संदेश साफ था, ईमानदारी ही एकमात्र विकल्प है!
दिल्ली की गद्दी छोड़ने के बाद केजरीवाल का विरोध शुरू हुआ! जनमत संग्रह कराए बिना केजरीवाल ने गद्दी छोड़ दी जिसके खामियाजे के रूप में उन्हें विरोधियों से ‘भगोड़े’ की उपाधि मिली! केजरीवाल ने उस ग़लती को पूरे देश के सामने बेझिझक स्वीकार किया और ऐसा ना करने का प्रण लिया!
जनता को उनकी यह सादगी पसंद आई, फलस्वरूप आम आदमी पार्टी को ऐतिहासिक जीत मिली!
अभी हाल ही में पुलिस वालों को ‘ठुल्ला’ कहने पर जब कुछ पुलिस वालों ने विरोध किया तब केजरीवाल ने अपनी ग़लती मानते हुए उनसे बेझिझक माफी माँगी!
अपनी ग़लती मानने और माफी माँगने का यह सरल अंदाज उन्हें दूसरे आम नेताओं से अलग करता है !
सफलता रातों रात नही मिलती! इसके लिए अथक प्रयास, लगन एवं कभी कभी असफलता का मूह भी देखना पड़ता है!
मुख्यमंत्री बनने से पहले केजरीवाल को नक्सली, आतंकी, पाकिस्तानी एजेंट, AK-47, देशद्रोही, भगोड़ा, खुजलीवाल और ना जाने क्या क्या कहा गया! इतना ही नही, चेहरे पर स्याही फेकी गयी. यहाँ तक की थप्पड़ भी पड़े!
खुद केजरीवाल के अनुसार, उनके अपने ही सेक्यूरिटी गार्ड ने लोकसभा चुनाव हारने के बाद ताने देते हुए कहा था- “बड़ा हीरो बनना चाहता था. प्रधान मंत्री बनने चला था लौट के बुद्धू घर को आए”
लोकसभा चुनावों में बुरी तरह हारने के बाद 67 सीटो के साथ वापसी करना अभूतपूर्व था! परंतु अंततः अपार बहुमत के साथ केजरीवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री बनने में कामयाब रहे!
दिल्ली की सीट छोड़ने के बाद चुनाव प्रचार के दौरान लाली नाम के एक ऑटो ड्राइवर ने केजरीवाल को थप्पड़ जड़ दिया! प्रतिक्रिया स्वरूप केजरीवाल ने उस व्यक्ति से मिल कर उस थप्पड़ की वजह जानी और सीट छोड़ने के लिए क्षमा भी माँगी! इसे चुनावी स्टंट तो बिलकुल नही कहा जा सकता!
दिल्ली चुनावों में 70 मे से 67 सीटें जीत कर इतिहास रचने के बावजूद भी जब केजरीवाल ने अपना पहला इंटरव्यू बरखा दत्त को दिया तब टीवी पर अपनी जीत का जश्न मानने या विरोधियों को ताने मारने के बजाए केजरीवाल ने दिल्ली के बारे में बात करना पसंद किया! उन्होने दिल्ली के विकास एवं दिल्ली के लिए अपनी योजनाओं के बारे में बात की!
खुद को केजरीवाल ने अहंकार से दूर रखा तथा स्वाभाव की विनम्रता को आज भी बनाए रखा!
एक सफल पुरुष को अपने काम और अपने दैनिक जीवन के बीच के सामंजस्य को प्राप्त करने में कोई समस्या नही होगी! दिल्ली वालों के इस मफ्लर मैंन ने इसे यथार्थ कर दिखाया!
चाहे वो दिल्ली की ऐतिहासिक जीत के बाद अपनी पत्नी को धन्यवाद देना हो या फिर मुख्यमंत्री बनने के बाद भी अपने परिवार के साथ फ़िल्मे देखने का शौक पाले रखना! अरविंद ने खुद को एक अच्छा पुरुष साबित किया!
बदले में उन्हें अपनी पत्नी और परिवार का भरपूर सहयोग मिला और रही सही कसर बेटी ने IIT की परीक्षा उत्तीर्ण कर के पूरी पर दी!
एक प्रश्न के जवाब में एक बार केजरीवाल ने कहा था- “इसे देश के सबसे बड़ी समस्या ना तो ग़रीबी है, ना अज्ञानता है, ना ही जातिवाद है और ना ही भ्रष्टाचार है! इस देश की समस्या वो लोग हैं जो इस देश के संसाधानो पर पलते हैं! इस देश की रोटी खा कर बड़े होते हैं! इस देश में शिक्षा ग्रहण करते हैं और फिर कहते हैं कि मुझे राजनीति से नफ़रत है!”
राजनीति यदि कीचड़ है तो नाक पर रुमाल रख कर इससे दूर भागने के बजाए इसमें कूदो और पूरे लगन और ईमानदारी के साथ सफाई करो!
ये मत भूलो कि राजनीति इस देश की जड़ में है! भारत एक विशाल जनतंत्र है! और जनतंत्र जनता का, जनता के लिए, जनता द्वारा शासन है! जिस दिन जनता जनतंत्र से अलग हो जाएगी, यह तंत्र अर्थविहीन हो जाएगा! उठो और देश के लिए राजनीति से प्यार करो ठीक वैसे ही जैसे तुम्हे अपने परिवार के लिए अपनी नौकरी से प्यार करना पड़ता है!
राजनीति केजरीवाल ने भी की और बाकियों ने भी! परंतु एक रचनात्मक राजनीति क्या होती है यह केजरीवाल ने सबको सिखाया, जिसका लोहा राहुल गाँधी ने भी माना! मर्यादाओं एवं शब्दों के सीमा में रहकर मुद्दों के राजनीति कर के केजरीवाल ने मोदी जैसे जादुई व्यक्तित्व वाले शख्स को भी पटखनी दे दी!
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