कबीरा सोई पीर है, जो जानै पर पीर। में कौन सा अलंकार है?
kabira soi peer hai jo jane par peer mein kaun sa alankar haiकबीरा सोई पीर है, जो जानै पर पीर।
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प्रस्तुत पंक्ति में यमक अलंकार है। यहाँ पीर शब्द का दो बार प्रयोग हुआ है जिसके दो अर्थ है-संत और पीर। है।
प्रस्तुत पंक्ति में यमक अलंकार का भेद:
इसमें शब्दों की आवृति बिना किसी तोड़ मरोड़ कर हुई है इसलिए यह अभंग पद यमक अलंकार है।
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यमक अलंकार का अन्य उदाहरण:
आप यमक अलंकार को अच्छी तरह से समझ सकें इसलिए यमक अलंकार के कुछ अन्य उदाहरण निम्नलिखित हैं:
“जेते तुम तारे तेते नभ में न तारे है। ‘’ यहाँ तारे शब्द के दो अर्थ है – तारना और तारा
यमक अलंकार का अन्य उदाहरण है – रहिमन पानी राखिए बिन पानी सब सुन। पानी गए न उबरे बिन पानी सब सून। इस पंक्ति में पानी शब्द का प्रयोग दो बार हुआ है, लेकिन अर्थ दोनों ही बार अलग अलग है।
काव्य पंक्ति में अन्य अलंकार –
अलंकार के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त करने के लिए नीचे दिये गए लिंक पर जाएँ:
अलंकार – परिभाषा, भेद एवं उदाहरण
- “या मुरली मुरलीधर की अधरान धरी अधरा न धरौंगी। ” में कौन सा अलंकार है?
- ” पास ही रे हीरे की खान ,खोजता कहां और नादान? में कौन सा अलंकार है?
- ऊंचे घोर मन्दर के अन्दर रहन वारी, ऊंचे घोर मन्दर ले अन्दर रहाती है। में कौन सा अलंकार है?
- ऊधौ जोग जोग हम नाही। अबला सारज्ञान कह जानै, कैसै ध्यान धराही। में कौन सा अलंकार है?
- ऐसे दुरादुरी ही सों सुरत जे करैं जीव, साँचो तिन जीवन को जीवन है जग में। में कौन सा अलंकार है?
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