कहै कवि बेनी बेनी ब्याल की चुराई लीनी में कौन सा अलंकार है?
kahiai kavi beni beni byaal kee churai leeni mein kaun sa alankar haiकहै कवि बेनी बेनी ब्याल की चुराई लीनी
यमक अलंकार से अभिप्राय उस अलंकार से है जिसमे किसी शब्द का दो बर प्रयोग हुआ हो और दोनों ही बार उसका अर्थ भिन्न भिन्न हो। इस पद में भी बेनी शब्द का दोबार प्रयोग हुआ है और दोनों ही बार उसका अर्थ अलग अलग है। पहले बेनी का मतलब कवि से है जबकि दूसरे बेनी का अभिप्राय चोटी से है,।
प्रस्तुत पंक्ति में यमक अलंकार का भेद:
इस पद में अभंग पद यमक अलंकार का प्रयोग हुआ है क्योंकि इसमे बेनी शब्द की आवृति ज्यों की त्यो की गई है।
यमक अलंकार का अन्य उदाहरण:
आप यमक अलंकार को अच्छी तरह से समझ सकें इसलिए यमक अलंकार के कुछ अन्य उदाहरण निम्नलिखित हैं:
“ कनक कनक ते सौ गुणी मादकता अधिकाई “
“ तीन बेर खातीहै अब तीन बेर खाती है। “ इस पद में बेर में यमक अलंकार है।
काव्य पंक्ति में अन्य अलंकार –
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अलंकार – परिभाषा, भेद एवं उदाहरण
- “या मुरली मुरलीधर की अधरान धरी अधरा न धरौंगी। ” में कौन सा अलंकार है?
- ” पास ही रे हीरे की खान ,खोजता कहां और नादान? में कौन सा अलंकार है?
- ऊंचे घोर मन्दर के अन्दर रहन वारी, ऊंचे घोर मन्दर ले अन्दर रहाती है। में कौन सा अलंकार है?
- ऊधौ जोग जोग हम नाही। अबला सारज्ञान कह जानै, कैसै ध्यान धराही। में कौन सा अलंकार है?
- ऐसे दुरादुरी ही सों सुरत जे करैं जीव, साँचो तिन जीवन को जीवन है जग में। में कौन सा अलंकार है?