हिन्दी अथवा संस्कृत में रंग का अर्थ फारसी वाले रंग (colour) के समान नहीं होता। जैसे कि “राजा यदि राग-रंग में खोया रहेगा तो प्रजा का ध्यान कौन रखेगा?” इस वाक्य से ज्ञात होता है।
रंग एक संस्कृत शब्द है और इसका उल्लेख महाभारत, सुश्रुत और लतैत विस्तार जैसे साहित्यिक ग्रन्थों में मिलता है। बहुत संभव है फारसी ने भी इसे हिन्दी की तरह से संस्कृत से अपनाया हो।
हिन्दी अथवा संस्कृत में रंग का अर्थ फारसी वाले रंग (colour) के समान नहीं होता। जैसे कि “राजा यदि राग-रंग में खोया रहेगा तो प्रजा का ध्यान कौन रखेगा?” इस वाक्य से ज्ञात होता है।
रंग एक संस्कृत शब्द है और इसका उल्लेख महाभारत, सुश्रुत और लतैत विस्तार जैसे साहित्यिक ग्रन्थों में मिलता है। बहुत संभव है फारसी ने भी इसे हिन्दी की तरह से संस्कृत से अपनाया हो।