रति-रति शोभा सब रति के शरीर की में कौन सा अलंकार है?
rati rati shobha sab rati ke shareer kee mein kaun sa alankar haiरति-रति शोभा सब रति के शरीर की
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जब किसी काव्य पंक्ति में एक शब्द दो बार आए और दोनों ही बार उसका मतलब भिन्न भिन्न हो तो वहाँ यमक अलंकार होता है। इसमे रति शब्द में यमक अलंकार है क्योंकि यह दो बार आया है और और दोनों ही बार उसके अलग अलग अर्थ है। इसमे पहली बार यह जरा सी के लिए आया है तो दूसरी बार कामदेव की पत्नी के लिए।
प्रस्तुत पंक्ति में यमक अलंकार का भेद:
इस पंक्ति में अभंग पद यमक अलंकार है।
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यमक अलंकार का अन्य उदाहरण:
आप यमक अलंकार को अच्छी तरह से समझ सकें इसलिए यमक अलंकार के कुछ अन्य उदाहरण निम्नलिखित हैं:
‘’ लोक में फैला सूर्यलोक ‘’
“काली घटा का घमंड घटा “इसमें घटा शब्द का प्रयोग दो बार हुआ है जिसके दो अर्थ है बादल और घटना।
काव्य पंक्ति में अन्य अलंकार –
अलंकार के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त करने के लिए नीचे दिये गए लिंक पर जाएँ:
अलंकार – परिभाषा, भेद एवं उदाहरण
- “या मुरली मुरलीधर की अधरान धरी अधरा न धरौंगी। ” में कौन सा अलंकार है?
- ” पास ही रे हीरे की खान ,खोजता कहां और नादान? में कौन सा अलंकार है?
- ऊंचे घोर मन्दर के अन्दर रहन वारी, ऊंचे घोर मन्दर ले अन्दर रहाती है। में कौन सा अलंकार है?
- ऊधौ जोग जोग हम नाही। अबला सारज्ञान कह जानै, कैसै ध्यान धराही। में कौन सा अलंकार है?
- ऐसे दुरादुरी ही सों सुरत जे करैं जीव, साँचो तिन जीवन को जीवन है जग में। में कौन सा अलंकार है?
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